1. खाली पेट केला खाना सही है कि नहीं?
दिन के 24 घंटे में हमारा शरीर अलग-अलग अवस्थाओं में होता है। यह अलग-अलग समय पर अलग-अलग हार्मोन्स रिलीज करता है। जिनका असर मेटाबोलिज्म से लेकर मस्तिष्क और शरीर पर पड़ता है। इसी से हमारी शारीरिक गतिविधियां प्रभावित होती हैं। यूं तो शरीर के लिए फल और सब्जियां बहुत फायदेमंद होती हैं, लेकिन यदि इनका सेवन सही समय पर किया जाए तो यह अधिक फायदेमंद साबित होती हैं। वहीं अगर गलत समय पर इनके सेवन से सेहत को नुकसान भी पहुंच सकता है। शरीर विज्ञान के अनुसार सुबह लगभग 8:00 बजे से हमारी आंतों का मूवमेंट शुरू हो जाता है और रात लगभग 10:00 बजे तक यह सक्रिय रहती है। इसके बाद मूवमेंट कमजोर होने लगता है। ऐसे में जानिए गर्मी के दिनों में कब और क्या खाएं और किस समय पर खाएं?
केले में पोटेशियम और मैग्नीशियम ज्यादा मात्रा में होता है। ऐसे में खाली पेट केला खाने से खून में दोनों ही तत्वों की मात्रा बढ़ने लगती है, जिससे दिल को नुकसान पहुंचने की आशंका बढ़ती है।
दही एक प्रोबायोटिक फूड है। यह आंतों में अच्छे बैक्टीरिया की मात्रा बढ़ाता है। यह बैक्टीरिया खाना पचाने में मदद करते हैं। इसमें विटामिन B-12 और लेक्टोबेसिल होते हैं जो गुड बैक्टीरिया की मात्रा को हमारे शरीर में बढ़ाते हैं। यह सब मिलकर हमको गर्मी में हल्का महसूस कराते हैं।
तरबूज में 95% पानी होता है। रात में इसके सेवन से ओवर हाइड्रेशन रेशम की समस्या हो सकती है। यदि यह बढ़ा हुआ पानी बाहर नहीं निकले तो किडनी को नुकसान पहुंचा सकते हैं, जिससे पैरों में सूजन की समस्या हो सकती है। इसलिए रात में तरबूज नहीं खाना चाहिए।
2. ऑस्ट्रेलिया की अधिकांश जनसंख्या खाली पैर यात्रा करना क्यों पसन्द करते हैं?
बहुत ही कम लोगों को यह पता होगा कि ऑस्ट्रेलिएन्स एक स्थान से दूसरे स्थान तक नंगे पैर ही चल कर जाना पसंद करते हैं। लेकिन यहाँ सोचने वाली बात यह है कि इतने एडवांस समय मे भी आखिर ऐसा किस कारण से ऑस्ट्रेलिएन्स खुद को जूतों से इतना दूर रखें हुए हैं?
ऑस्ट्रेलिया में खाली पैर चलने के निम्नलिखित कारण हो सकते है आइए जानते हैं इन कारणों को...
A) प्राचीन समय में जब जूतों की खोज हुई तब जूते देखते ही देखते पूरी दुनिया में फैल गया। पर ऑस्ट्रेलिया के भौगोलिक स्थिति के कारण वहां जूतों का concept बहुत सालों बाद लागू हुआ। और जब तक जूतों का concept ऑस्ट्रेलिया में पहुँचा तब तक वहाँ की अधिकांश जनता को नंगे पैर ही चलने का आदत हो चुका था।
B) ऑस्ट्रेलिया में खाली पैर चलने के पीछे दूसरा कारण है संस्कृति । ऑस्ट्रेलिया में निवास लोगों की संस्कृति में यह मानना है कि अगर वे नंगे पैर एक जगह से दूसरी जगह यात्रा करते है तो यह चीज उनकी स्वतंत्रता को दिखाती है।
C) तीसरा और सबसे महत्वपूर्ण कारण यह है कि नंगे पैर चलने से बहुत सारे हेल्थ से जुड़े फायदे हमारे शरीर को होते हैं, जैसे कि ब्लड सर्कुलेशन का सही होना, डिप्रेशन और एंजायटी में कमी का होना।
इन्हीं सब कारणों को देखते हुए ऑस्ट्रेलिया की अधिकांश जनसंख्या खाली पैर ही यात्रा करना पसंद करते है और खुद को जूतों से दूर रखते हैं।
3. "नो फोन रूल" क्या होता है?
सोशल मीडिया हमारे समय का सबसे बड़ा दुश्मन है। इसका ज्यादा इस्तेमाल हमारे मन मस्तिष्क को बीमार कर सकता है। अमेरिका की सैन डिएगो स्टेट यूनिवर्सिटी में मनोवैज्ञानिक के प्रोफेसर जीन तवेंग के अनुसार फोन की ब्लू लाइट हमारे दिमाग को रात में भी दिन का एहसास कराती है। वहीं, न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के स्टर्न स्कूल ऑफ बिजनेस में प्रोफेसर एडम आल्टर बताते हैं, टेक कंपनियां बिहेवियरल साइकोलॉजी का उपयोग कर फोन का अधिक उपयोग करने के लिए बाध्य करती हैं।
मोबाइल का ओवर यूज ओवर वर्क की फिलिंग देता है। रात को इस्तेमाल करना जॉब सेटिस्फेक्शन घटाता है। घर में हमेशा "नो फोन रुल" लागू करें। वीडियो के बजाय ऑडियो कंटेंट सुनें। यह कुछ रोल "नो फोन रुल" के अंतर्गत आते हैं।
आइए जानते हैं सोशल मीडिया के दौर में हम कैसे अपने मन को स्वस्थ रख सकते हैं। फोन डिटॉक्स के लिए अपनाए जाने वाले तरीके...
A) रात में सोने से पहले मोबाइल नोटिफिकेशन को ऑफ कर दें। सुबह उठते ही मैसेज, ईमेल या सोशल मीडिया चेक करने के लिए फोन ना उठाएं। इसकी जगह न्यूज़पेपर पढ़ें एक्सरसाइज या वॉक करें। ध्यान लगाएं।
B) लंच के समय हमेशा "नो फोन रूल" अपनाएं। लंच का समय है पारिवारिक रिश्तो को मजबूत बनाने के लिए होता है। परिवार के साथ हैं तो फोन से दूरी बनाए रखें। यदि ऑफिस में लंच कर रहे हैं तो किसी सहकर्मी के साथ लंच करें। मोबाइल को ना उठाने का यह नियम दोनों पर ही लागू करें।
C) शाम में बच्चों के साथ खेलते समय मोबाइल पर फ्लाइट मोड ऑन रखें। इवनिंग वॉक पर बच्चों के साथ जरूर जाएं। बच्चों के साथ खेले। बच्चों को अपना समय दें इस समय मोबाइल का उपयोग ना करें। यदि फोटो खींचने के लिए फोन साथ रखना चाहते हैं तो हमेशा फ्लाइट मोड ऑन रखें।
D) सोने से एक घंटा पहले स्क्रीन का उपयोग बंद कर दें। फिर भी फोन साथ रखने की आदत है तो ऑडिबल एप्स का इस्तेमाल करें। गाने सुने, कहानियां सुने। इससे आप मनोरंजन भी कर पाएंगे साथ ही फोन की ब्लू लाइट से दूर रह पाएंगे।
इस तरह आजकल के डिजिटल युग में आप "नो फ़ोन रूल" को अपनाकर अपने स्वास्थ्य का अच्छा ध्यान रख सकते हैं।
टेंड़ेग बेंड़ेग बाँसुरी, बजाने वाला कौन।
भऊजी गेहे मइके, मनानेवाला कौन।।
उत्तर:- नदिया



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