Amazing Facts :-
1. ₹10 के सिक्के पर गोल्डन परत क्यों होती है?
दोस्तों आपने भी यह नोटिस जरूर किया होगा कि भारत के सारे सिक्कों का डिजाइन(Design), कलर (colour) same है, बजाय ₹10 के सिक्के को छोड़कर। ₹10 के सिक्के में सिल्वर और गोल्डन दोनों की परत होती है, लेकिन आखिर ऐसा क्यों किया गया है?
₹10 का सिक्का सिक्के के हिसाब से अपने आप में ज्यादा वैल्यू रखता है। इसलिए इसके डिजाइन को आकर्षक बनाने के लिए साल 1990 में फ्रांस में बनाए गए ₹10 के सिक्के के डिजाइन के हिसाब से भारतीय सिक्के के डिजाइन को बनाया गया है। ₹10 के सिक्के को दो कलर के डिजाइन का बनाने के लिए ही आरबीआई(RBI) को ₹5 54 पैसे का खर्च आता है और यही वह सबसे बड़ा कारण है जिसके चलते इस कलर कॉन्बिनेशन को एक या ₹2 के सिक्कों पर नहीं बनाया जा सकता। क्योंकि ₹10 के सिक्के में यूज होने वाले निकिल और ब्रास की कीमत ₹2 से ज्यादा होती है।
अगर किसी भी सिक्के की मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट उसके वैल्यू कॉस्ट से ज्यादा होती है तो लोग उसको पिघलाकर उस मेटल को मार्केट में बेच देते हैं। जिसके चलते इन चीजों को maintain करने और ₹10 के सिक्के को आकर्षक दिखाने के लिए ये colour combination केवल ₹10 के सिक्के में मिलते हैं। आप आप फाइनली यह जान गए होंगे कि ₹10 के सिक्के पर गोल्डन पर क्यों होती है।
2. क्यूआर कोड(QR code) पर 3 स्क्वायर(square) क्यों होते हैं?
क्यूआर कोड(QR code) पर 3 स्क्वायर(square) ही क्यों होते हैं, यह जानने से पहले हमें यह जानना होगा कि क्यूआर कोड(QR code) के इन्वेंशन(invention) से पहले प्रोडक्ट में किस बार का यूज किया जाता था?
इस प्रकार की परेशानी को देखते हुए सन 1994 में Denzo Wave नाम की कंपनी के एक इंजीनियर ने क्यूआर बारकोड इन्वेंट किया। जो हाई स्पीड (High Speed)और secure माना जाता है। कोनों के 3 स्क्वायर के कारण ही यह क्यूआर कोड स्पीड और secure है। 3 square scanner को सटीक स्कैनिंग करने में मदद करते हैं और चौथे साइड का छोटा सा स्क्वायर स्केनर को एलाइनमेंट को बताता है। मतलब कि वह क्यूआर कोड सीधा है कि तिरछा या उल्टा है यह चौथा छोटा स्क्वायर ही बताता है।
अब बात क्यूआर कोड के बीच के Black White Part की कि जाए तो वह Part Product के सारे डिटेल्स जैसे प्रोडक्ट कैटेगरी, कॉस्ट और प्रोडक्ट से जुड़े सारे वेब लिंक की जानकारी देता है। अब आप फाइनली यह जान गए होंगे कि क्यूआर कोड में 3 स्क्वायर ही क्यों होते हैं और चौथा छोटा स्क्वायर क्या काम करता है।
3. ओडोमोस (Odomos) या कोई भी मच्छर भगाने वाले लोशन(lotion) शरीर में लगाने से मच्छर दूर क्यों चले जाते हैं?
हमने यह देखा होगा कि गर्मी के दिनों में मच्छरों की संख्या काफी हद तक बढ़ जाती है। मच्छरों को दूर भगाने के लिए लोग तरह-तरह का उपाय करते हैं जैसे - coil, अगरबत्ती, all out, लोशन(lotion) का भी यूज़ करते हैं। लोशन को छोड़कर बाकी सारी चीजों के धुएँ से मच्छर मर जाते हैं या फिर भाग जाते हैं। लोशन लगाने से मच्छर हमारे शरीर से दूर रहते हैं लेकिन आखिर ऐसा क्यों होता है?
दरअसल दोस्तों जितने भी गर्म रक्ति प्राणी(warm blooded animals) होते हैं उनके शरीर से हमेशा CO2, लैक्टिक एसिड(lactic acid), पसीना आदि इसी प्रकार की चीजें हमेशा रिलीज होती है और इससे smell उत्पन्न होता है जो कि फीमेल मच्छर को आकर्षित करते हैं। ऑडोमोस(odomos) में N Diethylbenzamide (DEET) नाम का केमिकल मौजूद होता है। हम जैसे यह लोशन को अपने शरीर में लगाते हैं तो यह हमारी बॉडी में से निकलने वाली smell को cover कर लेता है और साथ ही इसमें मौजूद DEET Chemical इस प्रकार का स्मैल(smell) रिलीज करते हैं जो कि insects और मच्छरों को बिल्कुल भी पसंद नहीं होता।
यही सबसे बड़ा कारण है की ऑडोमोस या कोई भी मच्छर भगाने वाले लोशन को शरीर में लगाने से मच्छर या कोई भी इंसेक्ट हमारे शरीर के पास नहीं आते हैं।
बिना पाँव के अहिरा भईया, बिना सिंग के गाय।
अइसन अचरज हम नई देखेन, खारन खेत कुदाय।।
उत्तर :- सांप और मेंढक



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