Amazing Facts :-
1. अंडा शाकाहारी है या मांसाहारी?
यह प्रश्न तो लगभग हर किसी के मन में आता होगा कि अंडा शाकाहारी है या मांसाहारी। जो लोग खुद को पूरी तरह शाकाहारी रखते हैं वह तो अंडे को शाकाहारी मानते ही नहीं उनके लिए अंडा मांसाहारी ही होता है। पर जो लोग मांस खाने को सिर्फ मांसाहार समझते हैं वो अंडा खाते हैं और अंडा खाने को मांसाहार की श्रेणी में नहीं रखते हैं। लेकिन यह तो सिर्फ लोगों की सोच की बात है असल में अंडा शाकाहारी है या मांसाहारी, आइए जानते हैं।
वैज्ञानिकों का मानना है कि जब मुर्गी छह माह की हो जाती है तब वह 1 से 2 दिन में अंडा देती है। लेकिन इस अंडे को देने के लिए यह जरूरी नहीं कि वह मुर्गी किसी मुर्गे के संपर्क में आई हो। इस प्रकार के egg को unfertilize egg कहा जाता है। इस प्रकार के egg का पीला भाग सिर्फ कोलेस्ट्रोल और वसा होता है और egg का सफेद भाग सिर्फ प्रोटीन होता है। इस प्रकार के egg पूरी तरह शाकाहारी होते हैं।
जो egg किसी मुर्गे के संपर्क द्वारा होते हैं उनमें सेल्स होते हैं और इस प्रकार के egg को fertilize egg कहते हैं और यह पूरी तरह से मांसाहारी होते हैं। इस तरह से अब आप जान गए होंगे कि मुर्गी दो तरह के अंडे देती है fertilizer और unfertilizer और आपको पता चल चुका होगा कि अंडा मांसाहारी है या शाकाहारी।
2. उंगलियां चटकाने पर आवाज क्यों आती है?
हमने अपने आसपास के लोगों को देखा होगा कि वे अपनी अंगुलियां, गर्दन को चटकाते रहते हैं और चटकाने पर उनसे आवाज भी आती है। लेकिन कुछ लोगों को आपने यह कहते भी सुना होगा कि अंगुलियां चटकाना गलत आदत है और इससे हमारे शरीर की हड्डियां कमजोर होती है। पर क्या यह सच है कि उंगलियां चटकाने से हड्डियां कमजोर होती है? आइए दोस्तों हम आज उंगलियां चटकाने से जुड़ी साइंस जानते हैं।
हमारे बॉडी के जोड़ों के बीच फ्रिक्शन को कम करने के लिए एक द्रव्य जोड़ों के बीच में बनता है जिसे synoviral fluid के नाम से जाना जाता है। यह द्रव्य हमारे शरीर के सारे जोड़ों के बीच में एक Lubricate का काम करता है। इस द्रव्य के अंदर ऑक्सीजन, नाइट्रोजन और कार्बन डाइऑक्साइड भी होता है। जब भी हम अपने अंगुलियां, गर्दन या किसी भी जोड़ को चटकाते हैं तब उस समय हम जोड़ों को प्रेशर देते हैं जिससे जोड़ों की हड्डियां एक दूसरे के पास आ जाती है और जब हड्डियां एक दूसरे के पास आती है तब यह हड्डियां उसी द्रव्य पर प्रेशर लगाती है जिसकी वजह से द्रव्य में उपस्थित गैसीय bubble फूटते हैं और बबल के फूटने की ही आवाज हमको सुनाई देती है।
अब आप जान गए होंगे कि जब भी हम अपनी उंगलियों को चटकाते हैं तब वह आवाज हड्डियों की नहीं bubble फूटने की होती है। बहुत से वैज्ञानिकों के रिजल्ट से यह बात साफ हो गई है कि उंगलियां चटकाने से शरीर की हड्डियों पर कोई असर नहीं होता है।
3. नाभि में रुई कहां से आती है?
दोस्तों आपने कभी ना कभी यह नोटिस तो किया ही होगा कि नाभि में कभी-कभी रुई जैसी एक परत आ जाती है लेकिन हकीकत में ऐसा कैसे हो जाता है। कैसे एक नाभि में रुई जैसे पदार्थ अपने आप आ जाता है?
साल 2012 में ऑस्ट्रेलिया में हुई रिसर्च के बाद नाभि में रुई आने के चार मुख्य कारण बताए गए :-
(1) नाभि का आकार
(2) बॉडी के deadcell
(3) stomach के Layer
(4) कपड़े के प्रकार
जब भी किसी कपड़े को पहनते हैं तब वह कपड़ा हमारी बॉडी से टच होता है और बॉडी और कपड़े का घर्षण होते रहता है। अब नाभि की आकृति के हिसाब से नाभि घर्षण से हुई कपड़े के फाइबर को अपनी तरफ आकर्षित कर लेती है और धीरे-धीरे फाइबर नाभि के अंदर इकट्ठा होते रहते हैं। अब हमारे बॉडी के dead cell और stomach layer भी जब उस नाभि में इकट्ठा होते हैं तब उसमें बैक्टीरिया उत्पन्न होने लगती है और यह बैक्टीरिया धीरे-धीरे सारे पदार्थ को इकट्ठा करके रुई जैसे सफेद पदार्थ में कन्वर्ट होने लगता है।
जो लोग daily नहाते हैं और अपने शरीर के डेड सेल और स्टमक लेयर की सफाई रोज करते हैं उनके में यह बैक्टीरिया पनप नहीं पाती और रुई जैसे पदार्थ का निर्माण हो ही नहीं पाता।
एक सिंग के अइसे गाय
जतके पाय ततके खाय ।।
उत्तर :- जांता
1 Comments
Good information 👍
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