भारतीय क्रिकेटर (Indian Cricket Team) की जर्सी का रंग नीला ही क्यों होता है?

Amazing Facts :-

1. भारतीय क्रिकेटर (Indian Cricket Team) की जर्सी का रंग नीला ही क्यों होता है?

क्रिकेट खेल के बारे में कौन नहीं जानता, क्रिकेट का खेल छोटे से बच्चे से लेकर बूढ़े व्यक्ति तक एक लोकप्रिय खेल रहा है। क्रिकेट को अगर खेल तक ही ना देखें तो आपने हमेशा से देखा होगा कि भारत के क्रिकेट खिलाड़ियों के जर्सी का रंग नीला (Blue) ही होता है पर आखिर ऐसा क्यों? 



क्रिकेट खेल के शुरुआती कई सेंचुरी तक केवल सफेद कपड़ों में ही क्रिकेट खेला जाता था। फिर क्रिकेट Organization वालों ने Colourful जर्सी में क्रिकेट खेलने का सोचा। इस डिसीजन के बाद कुछ country ने अपने नेशनल कलर के हिसाब से जर्सी का कलर रखा। चूंकि भारत का अपना कोई नेशनल कलर नहीं था इसलिए भारत ने तिरंगे के तीनों रंगों में से 1 रंग को इस्तेमाल करने के बारे मे सोचा। तिरंगे का पहला रंग केसरिया (saffron) रंग था लेकिन केसरिया रंग बहुत सारे पॉलिटिकल पार्टी के चिन्ह में यूज होता था इसलिए केसरिया रंग को स्वीकार नहीं किया गया। 

दूसरा रंग सफेद (white) था, क्रिकेट ऑर्गेनाइजेशन ने सफेद रंग को यूज करने से मना कर दिया था। तीसरा रंग हरा (green) था और हरे रंग को पाकिस्तान देश के द्वारा पहले से ही चुन लिया गया था, इसलिए हरा रंग भी यूज़ नहीं किया गया। इस प्रकार आखिर में सिर्फ एक रंग बचा और वह था अशोक चक्र का रंग नीला। इस प्रकार हमेशा से इंडियन क्रिकेट प्लेयर की जर्सी का रंग नीला रहा है और इंडियन प्लेयर को मेन इन ब्लू (Men in Blue) के नाम से भी जाना जाता है।

2. ट्रैक्टर (Tractor) के टायर में पानी क्यों भरा जाता है? 

दोस्तों आप ने ट्रैक्टर को तो देखा ही होगा और ट्रैक्टर के टायरों को भी देखा होगा पर आपको यह जानकर बहुत हैरानी होगी कि ट्रैक्टर के टायर में हवा के बजाय पानी भरा जाता है। हवा के बजाय पानी भरने के पीछे बहुत बड़ा कारण होता है। ट्रैक्टर के सामने के टायरों में नॉर्मल ही किसी अन्य गाड़ी के टायरों की भांति ऑक्सीजन(oxygen) और नाइट्रोजन(nitrogen) गैस को भरा जाता है, लेकिन ट्रैक्टर के पीछे के बड़े-बड़े टायरों में सिर्फ 25% हवा होती है और लगभग 75% पानी होता है। ट्रैक्टर के टायरों में 75% पानी भरने के पीछे यह कारण होता है कि किसानों को ट्रैक्टर को खेत के ऊबड़-खाबड़ जगह में चलाने के लिए अच्छी पकड़ मिल सके। 



हम सभी जानते हैं कि ट्रैक्टर को बड़े और भारी कार्यों के लिए उपयोग में लाया जाता है और भारी काम को करने के लिए पीछे के टायरों का वजन ज्यादा होना जरूरी है इसलिए ट्रैक्टर के पीछे के टायर बड़े होते हैं और उन में पानी भरा जाता है। ठंडे इलाकों में पानी की जगह अलग-अलग प्रकार के Liquid का उपयोग किया जाता है क्योंकि पानी ठंडे इलाकों में टायर के अंदर भी जम जाते हैं।

3. कैप्सूल (Capsule) को हमेशा दो रंगों का ही क्यों बनाया जाता है? 

जब भी हम बीमार होते हैं या हमारी तबीयत ठीक नहीं लगती तब हम डॉक्टर के पास जाते है, डॉक्टर हमें टेबलेट और कैप्सूल देते हैं। अक्सर हमने यह नोटिस किया होगा कि कैप्सूल हमेशा दो रंगों से मिलकर बना होता है पर कैप्सूल को दो रंग का बनाया क्यों जाता है? 



कैप्सूल दो भागों से मिलकर बना होता है :-
(i) कैप (Cap)
(ii) कंटेनर (Container)
पहला भाग कंटेनर जो कि लंबा होता है उसमें दवाई के पाउडर को भरा जाता है। कंटेनर में पाउडर को भरने के बाद दूसरे भाग कैप से कैप्सूल को पैक किया जाता है। कैप और कंटेनर को अलग-अलग रंग का रखा जाता है ताकि फैक्ट्री में काम कर रहे वर्कर्स को दोनों भागों में कंफ्यूजन ना हो। कैप्सूल के दोनों भागों के रंग अलग-अलग होते हैं और दिखने में अट्रैक्टिव लगते हैं जिससे बच्चों को खिलाने में ज्यादा दिक्कत नहीं होती है। 

कैप्सूल के दोनों भागों के रंगों को अलग अलग करने के लिए कंपनी को ₹5 लाख से भी ज्यादा खर्च करना पड़ता है। अगर कंपनी अपना यह नुकसान बचाने के लिए कैप्सूल को एक ही रंग का रहने दे तब वर्कर्स कन्फ्यूजन के कारण या गलती से कैप्सूल में गलत दवाई भर सकते हैं जिससे लाखों व्यक्ति की जान को खतरा हो सकता है। इन सभी कारणों को ध्यान में रखते हुए कैप्सूल को दो रंगों का ही रखा जाता है।




कत्था सुपारी बंगला पान
नारी पुरुष के बाइस कान।।

उत्तर :- रावण

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  1. कत्था सुपारी बँगला पान का हरे ग

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