1. स्कूटी के टायरों को हमेशा छोटा क्यों बनाया जाता है?
दुनिया में कई सारे ऐसे देश भी हैं जहां स्कूटी के टायरों को बाइक के टायरों की तरह ही बड़ा बनाया जाता है और यही अगर बात भारत की कि जाए तो हमें स्कूटी के टायरों को हमेशा छोटा ही देखने को मिलता है। लेकिन आखिर ऐसा क्यों?
क्यों भारत में स्कूटी के टायरों को छोटा बनाया जाता है?
दरअसल दोस्तों भारत में scooty को एक परिवार के पूरे सदस्यों के requirement के हिसाब से बनाया जाता है। इसलिए कंपनी द्वारा स्कूटी के hight को छोटा बनाया जाता है, क्योंकि भारत में scooty का उपयोग अधिकतर महिलाओं द्वारा किया जाता है। जिसके चलते scooty के hight को कम करना पड़ता है।
इसके साथ ही scooty के सामने में दिए गए space को सिर्फ पैर रखने के लिए नहीं बल्कि gas cylinder, पानी की बोतल और सामान रखने के लिए उपयोग किया जाता है। अब यदि इस space को जमीन से ज्यादा ऊंचा बना दिया जाए तो सबसे बड़ी समस्या सामान को carry करके उठाकर उस स्पेस में रखने में आएगी।
इसके साथ ही दूसरा कारण यह भी है कि under seat storage capacity का बड़ा होना। अब यह स्टोरेज जितना बड़ा होगा उतना ही इंजन को छोटा बनाना पड़ता है। और यह बात आप अच्छी तरह जानते हैं कि एक छोटा इंजन एक बड़े टायर को घुमाने की capacity नहीं रख पाता है। यहीं वो कारण है जिसके चलते स्कूटी के टायरों को छोटा बनाया जाता है।
2. जब मन परेशान हो तब कैसे करे मेडिटेशन?
चिंता एवं तनाव के प्रति शरीर की प्राकृतिक प्रतिक्रिया घबराहट है। भविष्य का भय या परिणामों की चिंता का असर हमारे तन और मन दोनों पर होता है। घबराहट होने पर सबसे पहले सांस ही ऊपर-नीचे होने लगती है। इसलिए घबराहट और चिंता पर नियंत्रण पाना है तो सांसों को नियंत्रित करना आवश्यक हो जाता है। जब भी घबराहट हो तो श्वास को संयमित करने के लिए ये उपाय कारगर साबित होंगे।
गहरी सांस लें...
● किसी आरामदायक स्थान पर बैठें या पीठ के बल लेटें।
● अपना एक हाथ पसलियों पर तथा एक हाथ पेट पर रखें, पसलियों के नीचे।
● नाक से सांस लें और अपने फेफड़ों को पूरी तरह प्राणवायु से भरने की कोशिश करें। ध्यान दें कि पेट पर रखा हाथ श्वास भरने के साथ बाहर आना चाहिए, किन्तु पसलियों पर रखा हाथ स्थिर रहे।
● होंठों को गोलाकार में भींचकर मुँह से सांस छोड़ें।
मन शांत करें...
● किसी कुर्सी पर बैठें या बिस्तर पर लेट जाएं। यदि बहुत चुस्त कपड़े पहने हैं, तो उन्हें बदल लें।
● हाथों को कुर्सी के हत्थों पर रखें और यदि लेते हुए हैं तो हाथो को बाहर की ओर खोलें। पैरों को भी खोलकर रखें।
● नाक से धीमे-धीमे श्वास लेते हुए 5 तक गिनें। 5 से अधिक गिनती करने की क्षमता है तो आगे भी गिन सकते हैं।
● क्षमतानुसार पूरी सांस लेने पर बिना रुके मन में 5 तक गिनते हुए सांस को मुंह से छोड़ें।
3. मोबाइल फोन में टाइम हमेशा मोबाइल के बाएं तरफ ही क्यों होता है???
दोस्तों आपने भी यह चीज कभी ना कभी नोटिस तो जरूर किया होगा कि आज के समय में आने वाले एंड्राइड फोन में टाइम को हमेशा ही बाएं तरफ दिखाया जाता है, लेकिन आखिर ऐसा क्यों???
बहुत कम लोगों को यह बात पता होगी कि शुरुआती दौर से 2018 तक आने वाले सारे टाइप के मोबाइल में समय को बाएं के बजाए दाएं तरफ दिखाया जाता था। बात अगर iphone की कि जाए तो उसमें समय हमें mobile के centre में देखने को मिलता था। लेकिन जब apple ने अपने मोबाइल के अंदर notch को लेकर आया तब उस स्थिति में time को बीच मे show कराने का कोई मतलब नहीं था। जिसके चलते apple ने अपने mobile के layout में बदलाव करते हुए time को centre के बजाय left side में दिखाना शुरू कर दिया। इसकी कॉपी करते हुए जब google ने अपने android के p vergen को launch किया तब उसने भी same reason देते हुए कि कहा अब हमनें भी एंड्राइड में notch को launch कर दिया है इसलिए time को left side में दिखाना शुरू कर दिया और इसके साथ यह भी तर्क दिया कि left side time show कराने का iphone users का एक्सपीरियंस बहुत ही अच्छा रहा है।
यही वो main reason है कि कहीं ना कहीं iphone की copy करने के लिए सारे ही एंड्राइड फोन में time को left side show किया जाता है।
छै गोड़िया बईद बिन बलाय आथे।
बिन बीमारी सुजी देथे, बिन पइसा घर जाथे।।
उत्तर :- मच्छर



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